Sad Poetry

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Poet:Wasi Shah





Sad Poetry

Urdu Sad Poetry




हमेशा दर्द में अपने पत्र को बाहर निकालें
और अगर सुख मिल जाए, तो अपने पत्रों को बहने दो

सारी चूड़ियाँ अपने समुद्र को दे दो
और तेरा पत्र हवा को

हर शब्द मेरे खून में गूँज रहा है
मुझे आपका पत्र नसों के रेगिस्तान में मिला

निष्ठा के बहुत सारे संकेत हैं
लेकिन आपका पत्र कुछ और से अलग है

मानो गरीबों की आजीवन संपत्ति
इसी तरह मैंने आपके पत्रों को संभाला

कुशल लोगों को मेरी इच्छा पर आपत्ति है
मैंने आपका पत्र अपनी कविता में डाला

मुझे चांद की इच्छा की परवाह नहीं है
तुम्हारे पत्र अंधेरे के रेगिस्तान में हैं


دکھ درد میں ہمیشہ نکالے تمہارے خط
اور مل گئی خوشی تو اچھالے تمہارے خط

سب چوڑیاں تمہاری سمندر کو سونپ دیں
اور کر دیے ہوا کے حوالے تمہارے خط

میرے لہو میں گونج رہا ہے ہر ایک لفظ
میں نے رگوں کے دشت میں پالے تمہارے خط

یوں تو ہیں بے شمار وفا کی نشانیاں
لیکن ہر ایک شے سے نرالے تمہارے خط

جیسے ہو عمر بھر کا اثاثہ غریب کا
کچھ اس طرح سے میں نے سنبھالے تمہارے خط

اہل ہنر کو مجھ پہ وصیؔ اعتراض ہے
میں نے جو اپنے شعر میں ڈھالے تمہارے خط

پروا مجھے نہیں ہے کسی چاند کی وصیؔ
ظلمت کے دشت میں ہیں اجالے تمہارے خط


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