Friend Poetry

اے دوست تو نے وار یہ بھرپور کر دیا
....پہلے قریب کر کے مجھے دور کر دیا



Friend Poetry
Friend Poetry


اے دوست تو نے وار یہ بھرپور کر دیا

پہلے قریب کر کے مجھے دور کر دیا

رہتی ہوں تیری یاد میں مدہوش رات دن

تیرے سرور و کیف نے مخمور کر دیا

کشمش سی نازنین تھی شاخ بدن مری

چاہت کی آب و تاب سے انگور کر دیا

خوشبو ترے بدن کی ہے سانسوں میں آج تک

تو نے ملن کے بعد تو پر نور کر دیا

تنہائی زندگی کی کٹھن ہو گئی تھی یار

لمس و سرور بخش کے مسرور کر دیا

مجھ کو شراب عشق پلا نے کی دیر تھی

میں نے بھی کائنات کو مخمور کر دیا

ملبہ تمہاری یاد کا ڈھویا ہے رات دن

نازک سی ایک لڑکی کو مزدور کر دیا

دیتی ہیں مجھ کو طعنے مری سب سہیلیاں

کہتی ہیں تجھ کو عشق نے مغرور کر دیا





हे मित्र, आपने यह युद्ध पूरा कर लिया है

पहले उसने पास जाकर मुझे दबोच लिया

मैं तुम्हारी याद में रात-दिन नशे में रहता हूँ

आपका नौकर और कैफ नशे में आ गया

किशमिश नाजुक थी

इच्छा के वातावरण के साथ अंगूर बनाया

शरीर की सुगंध अभी भी सांस में है

आपसे मिलने के बाद आपने मेरा ज्ञानवर्धन किया

एकाकी जीवन कठिन था, मनुष्य

छूने और सेवा करने में प्रसन्न

मुझे शराब पीते बहुत देर हो गई

मैंने भी ब्रह्माण्ड का नशा किया

मलबे ने आपकी स्मृति को दिन-रात धोया है

नाज सी ने एक लड़की को मजदूर बना दिया

मेरे सभी दोस्त मेरा मजाक उड़ाते हैं

वह कहती है कि प्यार ने आपको गौरवान्वित किया है




Post a Comment

0 Comments